कल से आपको मीडिया में एक खबर पढ़ने को मिली है कि रिजर्व बैंक ने इंग्‍लैंड के बैंक में जमा अपना 100 टन गोल्‍ड वापस मंगवा लिया है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इतनी भारी मात्रा में सोना देश में मंगाने का क्‍या कारण हो सकता है. आपको याद होगा कि आज से करीब 33 साल पहले जब मनमोहन सिंह वित्‍तमंत्री थे, तब भारत से 47 टन सोना देश के बाहर ले जाकर बेच दिया गया था. ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल बार-बार उठ रहा कि आखिर इस बार आरबीआई ने इतनी बड़ी मात्रा में सोना क्‍यों मंगाया है.

सबसे पहले बात करते हैं कि आखिर रिजर्व बैंक देश का सोना बाहर क्‍यों रखता है. इसकी दो बड़ी वजहें हैं. पहली तो यह हर साल आरबीआई भारी मात्रा में गोल्‍ड खरीदता है. जाहिर है कि यह सोना विदेश से खरीदा जाता है और ग्‍लोबल लेवल पर सोने का सबसे बड़ा एक्‍सचेंज मार्केट भी इंग्‍लैंड में है. लिहाजा आरबीआई उसी एक्‍सचेंज से गोल्‍ड खरीदकर इंग्‍लैंड के ही बैंक में जमा करा देता है. इससे सोने की लॉजिस्टिक्‍स कॉस्‍ट बच जाती है. दूसरा बड़ा कारण ये है कि बैंक ऑफ इंग्‍लैंड सैकड़ों साल से सोने की हिफाजत करता आ रहा है और उसे इस मामले में काफी अनुभव है. इस बैंक को दुनिया का सबसे सुरक्षित बैंक भी माना जाता है.
दरअसल रिजर्व बैंक ने इतनी बड़ी मात्रा में सोना इसलिए वापस अपने वॉल्‍ट में मंगाया है, क्‍योंकि बैंक ऑफ इंग्‍लैंड इस गोल्‍ड की सुरक्षा के लिए आरबीआई से मोटा पैसा चार्ज करता है. विदेशी बैंक में सोने को रखने की लागत काफी ज्‍यादा हो रही है. इस लागत को बचाने के लिए ही रिजर्व बैंक ने 100 टन सोना इंग्‍लैंड से भारत मंगाने का फैसला किया है.

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