डीएनए, नृत्य और कूटनीति: भारत से जुड़ाव के प्रति इंडोनेशियाई राष्ट्रपति का हास्यपूर्ण संकेत

इंडोनेशियाई राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो ने हल्के-फुल्के अंदाज में भारतीय वंश का दावा करते हुए कहा कि उनकी डीएनए जाँच में यह बात सामने आई है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के स्वागत समारोह में यह टिप्पणी सुनकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मौजूद लोग खिलखिला पड़े। “सब जानते हैं कि भारतीय संगीत सुनते ही मैं नाचने लगता हूँ…” उनके इस वाक्य ने सदियों पुराने भारत-इंडोनेशिया सांस्कृतिक रिश्तों को रोचक ढंग से उजागर किया, हालाँकि डीएनए दावे की पुष्टि नहीं हुई है।

यह मज़ाक दोनों देशों के ऐतिहासिक संबंधों को दर्शाता है। भारतीय व्यापारियों और विद्वानों से प्रभावित श्रीविजय और मजापहित जैसे हिंदू-बौद्ध साम्राज्यों ने इंडोनेशिया की संस्कृति को आकार दिया। आज बाली की हिंदू परंपराएँ और संस्कृत-आधारित भाषाएँ इसी विरासत की गवाह हैं। सुबियांतो का यह खेल-भरा इशारा और मोदी की प्रशंसा आधुनिक साझेदारी को मजबूती देने की कूटनीतिक रणनीति है।

मोदी की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ और इंडोनेशिया की आसियान नेतृत्व वाली रणनीति के तहत, दोनों देश भारत-प्रशांत सुरक्षा, प्रौद्योगिकी और हरित ऊर्जा में सहयोग कर रहे हैं। सुबियांतो का हास्य इन संबंधों को मानवीय बनाता है, जो ‘सॉफ्ट डिप्लोमेसी’ की ताकत दिखाता है। मोदी को ‘मजबूत योद्धा’ बताने में क्षेत्रीय स्थिरता और आर्थिक सहयोग जैसे रणनीतिक लक्ष्यों की झलक है।

यह आयोजन दर्शाता है कि साझा विरासत और व्यक्तिगत रिश्ते भू-राजनीतिक हितों को जोड़ सकते हैं। डीएनए जाँच गठजोड़ नहीं बनाती, पर सुबियांतो का ‘नृत्य’ और मोदी की हँसी याद दिलाती है कि कूटनीति केवल समझौतों पर नहीं, बल्कि विश्वास, संस्कृति और हँसी-मज़ाक पर भी टिकी होती है। भारत-इंडोनेशिया संबंधों के गहराते जाने के साथ, ऐसे सौहार्दपूर्ण पल एक मजबूत भविष्य की नींव रख सकते हैं…………

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